इस जीवन के सपने के समान गुणों को हमेशा अपने ध्यान में रखें। तब आपके मन से राग (attachment) - द्वेष (hatred) का भाव कम होने लगेग।



इस जीवन के सपने के समान गुणों को हमेशा अपने ध्यान में रखें। तब आपके मन से राग (attachment) - द्वेष (hatred) का भाव कम होने लगेग। इसके बाद, सभी के लिए सच्चे मन से सद्भावना को बढ़ाने का लगातार अभ्यास करते रहें तब आपका मन (चित्त) सभी के प्रति प्रेम और दयालुता से भर जाएँगा, चाहे वे सभी आपके साथ कैसा भी बर्ताव करते  रहे हों अथवा आगे करें।
जब आप सभी के (अच्छे-बुरे) बर्ताव को एक सपने के समान देखने लगते हैं तो वे सब क्या करते हैं, उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बस यही तरकीब है कि सपने जैसे जीवन के दौरान, अपने मन में सभी के प्रति सकारात्मक दया और सद्भावना का विचार बनाये रखें। यह एक बहुत आवश्यक ही बिंदु ही नहीं बल्कि सच्चा अध्यात्म भी है - तिब्बती योगी मिलारेपा (Born: 1052 CE, Tibet - Died: 1135 CE)

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