(अप्पमाद वग्ग) ज्ञानी (पंडित) पुरुष अप्रमाद की विशेषता को समझते हुए सदैव आर्य आचरण में रहकर अप्रमाद में आनन्दित रहते हैं।

 (अप्पमाद वग्ग) ज्ञानी (पंडित) पुरुष अप्रमाद की विशेषता को समझते हुए सदैव आर्य आचरण में  रहकर अप्रमाद में आनन्दित रहते हैं।

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