जिस तरह से ठीक तरह से बनायी छत से घर में वर्षा का पानी नहीं घुस पाता है, ठीक उसी प्रकार से “संयमित मन” में इंद्रियों से उत्पन्न राग द्वेष के अकुशल विचार नहीं घुस पाते।
जिस तरह से ठीक तरह से बनायी छत से घर में वर्षा का पानी नहीं घुस पाता है, ठीक उसी प्रकार से “संयमित मन” में इंद्रियों से उत्पन्न राग द्वेष के अकुशल विचार नहीं घुस पाते।
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