भगवान बुद्ध


Today Hindi version: एक बार लिच्छवी का एक महाली नाम का युवा वैशाली के कूटगार विहार में भगवान बुद्ध का प्रवचन सुनने गया। वहाँ बुद्ध, माघ (इन्द्र) पर प्रवचन दे रहे थे। अपने प्रवचन में बुद्ध ने माघ के बहुत से गुणों का भव्य वर्णन किया। लिच्छवी का युवा महाली प्रवचन सुनकर सोचा कि निश्चय ही बुद्ध, माघ को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और उससे उनकी भेंट हो चुकी है। अन्यथा वे इतने अच्छे ढंग से माघ के विषय में जानकारी नहीं दे पाते, मगर वह इस बारे में सुनिश्चित नहीं था इसलिए अपनी शंका-समाधान के लिए उसने बुद्ध से प्रश्न पूछा। 

युवा महाली के प्रश्न के उत्तरमें शाक्य मुनि बुद्ध कहा, “मैं माघ को अच्छी तरह जानता हूँ।मैं यह भी जानता हूँ कि वह माघ राजा कैसे बना और फिर देवताओं का राजा किस प्रकार बना।" उन्होंने माघ के पूर्वजन्म की कहानी सुनाते हुए कहा कि माघ अपने पूर्वजन्म में मचाला गाँव में मेघा नाम से जन्मा था। युवक मेघा, अपने मित्रों के साथ भवन एवं सड़क निर्माण का काम करता था। उसने प्रण लिया था कि वह जीवनपर्यन्त शील के सात नियमों का कड़ाई से पालन करेगा ये सात नियम इस प्रकार से थे :- (१) अपने माता-पिता की सेवा करेगा, (२) अपने से सभी बड़ों की इज्जत करेगा और उन्हें सम्मान देगा, (३) सदैव मधुर वाणी बोलेगा, (४) कभी भी किसी की चुग़ली नहीं करेगा, (५) कभी अशोभनीय आचरण नहीं करेगा, (६) हमेशा सच ही बोलेगा, तथा सच को भी बढ़ा-घटाकर नहीं बोलेगा, और (७)अपने क्रोध पर सदैव काबू रखेगा। 
युवक माघ ने इन सातों नियमों का पालन करने का प्रण ही नहीं लिया वरन्‌ जीवन भर उनका पालन भी किया। अपने इन्हीं शुभ कर्मों के कारण अगले जन्म में वह देवताओं का राजा बन पाया।

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