.जो सार (मूल-तत्व या अंतिम सत्य) को सार और नि:सार (झूठ या निरर्थक) को नि:सार समझ लेता है ऐसे शुद्ध चिंतन (सम्यक दृष्टि) वाले व्यक्ति को सार (मूल-तत्व या अंतिम सत्य) मिल ही जाता है
जो सार (मूल-तत्व या अंतिम सत्य) को सार और नि:सार (झूठ या निरर्थक) को नि:सार समझ लेता है ऐसे शुद्ध चिंतन (सम्यक दृष्टि) वाले व्यक्ति को सार (मूल-तत्व या अंतिम सत्य) मिल ही जाता है
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