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Showing posts from August, 2023

chandrayan-3 mission

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The presence of Sulphur, aluminum, iron, chromium, titanium, magnesium and other elements on moon is a significant information, but the surface temperature of 70 degrees Celsius during day for 14 days and extremely low in minus during night is challenging for continuous survival of life. But the presence of oxide forms of elements is encouraging. Still we need to find Molecular oxygen, Molecular hydrogen and water for survival of life. The presence of Sulphur and the solar energy on moon suggests that Sulphur bacteria may survive on moon that may change the soil surface slowly and slowly in the same way as the earth evolved 2.6 billion years ago as a result of Natural evolution but now we have enough scientific knowledge that may be used to explore the possibilities to live man on moon and to make the environment of moon worth for living. Still there are numerous challenges but the collective efforts of the world will pave the new ways. Jai Vigyan.   #ISRO #moon #bacteria #minerals #li

New Hypothesis shakes up Indo-European Language Origin Theories.

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New Hypothesis Shakes Up Indo-European Language Origin Theories Nearly 450 languages of Europe, America and Asia belong to a Indo-European Language Family (Tree). It is considered that Vedic Sanskrit may be the ancestor of all these languages.  A paper has just appeared in the journal Science by a team of over 80 linguists and geneticists of the world headed by a team from Max Planck Institute for Evolutionary Anthropology analyzing 161 languages. Their findings suggest an initial origin south of the Caucasus, with subsequent branching northwards onto the Steppe, and estimate the Indo-European language family to be approximately 8100 years old with five main branches already split off by around 7000 years ago. The language family began to diverge from around 8100 years ago, out of a homeland immediately south of the Caucasus. One migration reached the Pontic-Caspian and Forest Steppe around 7000 years ago, and from there subsequent migrat

last desire...

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*अमृत ​​मिलने पर भी सिकंदर का उसे ना पीना*                 *सिकंदर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!* *काफी दिनों तक  दुनियाँ में भटकने के पश्चात आखिरकार उस ने वह जगह पा ही ली, जहाँ उसे अमृत की प्राप्ति हो* 👉 *उसके सामने ही अमृत जल बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक बुढा व्यक्ती जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला,  रुक जा, यह भूल मत करना...!’* *बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह बुढा !* *सिकंदर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’* *बुढे ने उत्तर दिया, ..मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने यह अमृत पी लिया !*  *अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... !* *देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पैर गल गए हैं,  *देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूँ...चीख रहा हूँ...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !*  *अब प्रार्थना कर रहा हूँ  परमात्मा से कि प्रभु मुझे मौत दे !  सिकंदर  चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, *बिना अमृत पिए !*  सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द *उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उ

vikramshila university

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#IndianHistory Vikramaśīla University was one of the two most important centers of "Buddhist learning" in India, along with Nālandā University by Pala Kings (750 CE–1161 CE). It was established by King Dharmapala (783 to 820) due to the supposed decline in the quality of scholarship at Nālandā. A renowned Pandit named Atisha, was the principal abbot. The remains of the ancient university have been partially excavated at village Antichak in the Bhagalpur district, Bihar state, India. The Vikramshila University grew to become the intellectual center for Tantric Buddhism. In the beginning of the 11th century AD, during the reign of King Ramapala, there were 160 teachers and 1000 students in the monastery. The university lies on top of the hill on the banks of the River Ganga. There was a Buddhist shrine at the center of university enshrining the life-size copy of the Mahabodhi tree.  The main teaching temples had statues of great Buddhist scholars namely; Nagarjuna and Atisa at

The hug that saved a life.

The hug that saved a life  --------------------------- In 1995, the twins, Kyrie and Brielle Jackson, were born 12 weeks premature, each weighing only about 2 pounds. They were placed in separate incubators. One twin was not expected to survive. She went into critical condition. Her heart rate was rising while her oxygen level was dropping significantly. They were about to lose her. It was then that one nurse, Gale Kasparian, went against the hospital rules and standard procedure, putting the healthy twin next to her struggling sister in the same incubator. This decision turned out to be life-saving. Once the twins were close to each other, the struggling sister (Brielle) snuggled up to the healthy sister (Kyrie) who put her arms around Brielle. Almost immediately after, Brielle's vital signs started stabilizing. Her heart rate and oxygen levels normalized. Both twin sisters eventually survived and grew into strong young women. The picture below came to be known as the rescuing hug

क्षमा करने वाला सुख की नींद सोता है

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क्षमा उठाती है ऊँचा आप को: व्यक्ति बदला लेकर दूसरे को नीचा दिखाना चाहता है, पर इस प्रयास में वो खुद बहुत नीचे उतर जाता है। 🔶 एक बार एक धोबी नदी किनारे की सिला पर रोज की तरह कपडे धोने आया। उसी सिला पर कोई महाराज भी ध्यानस्थ थे। धोबी ने आवाज़ लगायी, उसने नहीं सुनी। धोबी को जल्दी थी, दूसरी आवाज़ लगायी वो भी नहीं सुनी तो धक्का मार दिया। 🔷 ध्यानस्थ की आँखें खुली, क्रोध की जवाला उठी दोनों के बीच में खूब मार -पिट और हाथा पायी हुयी। लूट पिट कर दोनों अलग अलग दिशा में बेठ गए। एक व्यक्ति दूर से ये सब बेठ कर देख रहा था। साधु के नजदीक आकर पूछा, महाराज आपको ज्यादा चोट तो नहीं लगी, उसने मारा बहुत आपको। महाराज ने कहा, उस समय आप छुडाने क्यों नहीं आए? व्यक्ति ने कहा, आप दोनों के बीच मे जब युद्ध हो रहा था उस समय में यह निर्णय नहीं कर पाया की धोबी कोन है और साधू कौन है? 🔶 प्रतिशोध और बदला साधू को भी धोबी के स्तर पर उतार लाता है। इसीलिए कहा जाता है की, बुरे के साथ बुरे मत बनो, नहीं तो साधू और शठ की क्या पहचान। दूसरी तरफ, क्षमा करके व्यक्ति अपने स्तर से काफी ऊँचा उठ जाता है। इस प्रकिर्या में वो सामने वाले

एक वेश्या ने कराया था विवेकानंद को संन्यासी होने का अहसास

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स्वामी जी ने शिकागो की धर्म संसद में भाषण देकर दुनिया को ये एहसास कराया कि भारत विश्व गुरु है। अमेरिका जाने से पहले स्वामी विवेकानंद जयपुर के एक महाराजा के महल में रुके थे। महाराजा राजा विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस का भक्त था। विवेकानंद के स्वागत के लिए राजा ने एक भव्य आयोजन किया। इसमें वेश्याओं को भी बुलाया गया। शायद राजा यह भूल गया कि वेश्याओं के जरिए एक संन्यासी का स्वागत करना ठीक नहीं है। विवेकानंद उस वक्त अपरिपक्‍व थे। वे अभी पूरे संन्‍यासी नहीं बने थे। वह अपनी कामवासना और हर चीज दबा रहे थे। जब उन्‍होंने वेश्‍याओं को देखा तो अपना कमरा बंद कर लिया। जब महाराजा को गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने विवेकानंद से माफी मांगी। महाराजा ने कहा कि उन्होंने वेश्या को इसके पैसे दे दिए हैं, लेकिन ये देश की सबसे बड़ी वेश्या है, अगर इसे ऐसे चले जाने को कहेंगे तो उसका अपमान होगा। आप कृपा करके बाहर आएं। विवेकानंद कमरे से बाहर आने में डर रहे थे। इतने में वेश्या ने गाना गाना शुरू किया, फिर उसने एक सन्यासी गीत गाया। गीत बहुत सुंदर था। गीत का अर्थ था- ''मुझे मालूम है कि मैं तुम्‍हारे योग्‍य नहीं, त

इन्सान जैसा कर्म करता है कुदरत या परमात्मा उसे वैसा ही उसे लौटा देता है।

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कर्म फल:- 🔴 इन्सान जैसा कर्म करता है कुदरत या परमात्मा उसे वैसा ही उसे लौटा देता है। 🔵 एक बार द्रोपदी सुबह तडके स्नान करने यमुना घाट पर गयी भोर का समय था तभी उसका ध्यान सहज ही एक साधु की ओर गया जिसके शरीर पर मात्र एक लँगोटी थी। साधु स्नान के पश्चात अपनी दुसरी लँगोटी लेने गया तो वो लँगोटी अचानक हवा के झोके से उड पानी मे चली गयी ओर बह गयी। 🔴 सँयोगवस साधु ने जो लँगोटी पहनी वो भी फटी हुई थी। साधु सोच मे पड़ गया कि अब वह अपनी लाज कैसे बचाए थोडी देर मे सुर्योदय हो जाएगा और घाट पर भीड बढ जाएगी। 🔵 साधु तेजी से पानी के बाहर आया और झाडी मे छिप गया। द्रोपदी यह सारा दृश्य देख अपनी साडी जो पहन रखी थी, उसमे आधी फाड कर उस साधु के पास गयी ओर उसे आधी साडी देते हुए बोली-तात मै आपकी परेशानी समझ गयी। इस वस्त्र से अपनी लाज ढँक लीजिए। 🔴 साधु ने सकुचाते हुए साडी का टुकडा ले लिया और आशीष दिया। जिस तरह आज तुमने मेरी लाज बचायी उसी तरह एक दिन भगवान तुम्हारी लाज बचाएगे। और जब भरी सभा मे चीरहरण के समय द्रोपदी की करुण पुकार नारद ने भगवान तक पहुचायी तो भगवान ने कहा-कर्मो के बदले मेरी कृपा बरसती है क्या कोई

The story of Kalidas.

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* Story of Kalidas * Kalidas was a big zero in terms of mental ability and was unattractive physically too. Once he was cutting the very branch he was sitting on. *Seeing him in this position, the pundits (priests) from the palace thought him to be the right candidate for marrying him off to Vidyotama, who had insulted them. They projected Kalidas as a silent wise person and made him participate in a debate with her over the scriptures. Cunningly they somehow explained his reactions as replies to all her questions in such a manner that she accepted him as husband.  *But on the very first day, truth came out and she threw him out of the house. The sentences she spoke while pushing him out of the house, hurt Kalidas deep within. With great determination he started acquiring knowledge. In the end , that fool with his efforts became the great poet Kalidas and got reunited with Vidyotama.

𝐇𝐞𝐫𝐞 𝐚𝐫𝐞 𝟏𝟒 𝐤𝐞𝐲 𝐩𝐨𝐢𝐧𝐭𝐬 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐛𝐨𝐨𝐤: "𝐁𝐞𝐥𝐢𝐞𝐯𝐞 𝐢𝐧 𝐲𝐨𝐮𝐫𝐬𝐞𝐥𝐟"

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. Believe in yourself: The first step to achieving success is to believe in yourself and your abilities. 2. Visualize success: Use the power of visualization to see yourself achieving your goals and living the life you want. 3. Affirmations: Use positive affirmations to reprogram your subconscious mind and overcome negative self-talk. 4. Take action: Success requires action, so take small steps every day towards your goals. 5. Learn from failure: Failure is not a setback but an opportunity to learn and grow. 6. Surround yourself with positivity: Surround yourself with positive people and influences that support your goals. 7. Embrace change: Change is inevitable, so embrace it and use it as an opportunity to grow. 8. Focus on solutions: Instead of dwelling on problems, focus on finding solutions. 9. Be persistent: Success often requires persistence and perseverance in the face of obstacles. 10. Take responsibility: Take responsibility for your life and your choices, and don't blame

The registration of birth and death act.

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Government tables the Births and Deaths (Amendment) Bill, 2023 in Lok Sabha The government on 26th July, 2023 tabled the Registration of Births and Deaths (Amendment) Bill, 2023 in the Lok Sabha. The new bill mandates Aadhaar number use for birth certification. The purpose of this Bill is to amend the Registration of Births and Deaths Act, 1969, to keep pace with societal changes and technological advancements. The Registration of Births and Deaths Act, 1969 provides for the regulation and registration of births and deaths. The registration of births and deaths falls under the Concurrent List, giving powers to both Parliament and state legislatures to make laws on the subject. As of 2019, the national level of registration of births was 93% and death registration was at 92%.  The Law Commission (2018) recommended the inclusion of marriage registration in the Registration of Births and Deaths Act, 1969. The proposed legislation would require the Aadhaar numbers of both parents and any i